OUR CONSTITUTION

किसान संगठन को चलाने के लिए एक व्यापक संविधान की आवश्यकता है जो पूरे देश में किसानों के लिए एक स्वतंत्र रूपरेखा तैयार करें और उन्हें यह अधिकार और मौलिक कर्तव्य प्रदान करने की कोशिश है जिसके साथ किसान चलकर अपनी समस्याओं का निराकरण कर सकें और अपने देश में अपनी एक स्थायित्व नीति के साथ देश को आगे बढ़ाने का कार्य करें।

        भारत के संविधान के साथ नए भारत के नए संविधान की रचना जो मूल संविधान से जुड़कर किसानों के हित के लिए कार्य करेगा और किसानों को ऐसी व्यवस्था से जुड़ेगा जो स्वतंत्र होगा और किसानों के हित में कार्य करेगा

        धरतीपुत्र के संविधान

 १-किसान संविधान की रचना किसानों के हित के लिए किसानों के द्वारा किसानों के लिए संवैधानिक  अधिकार व कर्तव्य तैयार किए गए हैं 

 जिसमें किसानों के भूमि संरक्षण का अधिकार वह उसके लिए एक कर्तव्य सुनिश्चित की जाएगी जिसमें वह एक निश्चित भूमि अपनी खेती बारी के लिए तय करेगा और वह उस परंपरा को लगातार निभाता रहेगा   जिसमें यह सुनिश्चित होगा कि यदि वह उस भूमि को कृषि योग्य में नहीं ले रहा है तू वह उसे परंपरागत ऐसे धरतीपुत्र को दे देगा जो किसान के कर्तव्य को करते हुए स्वयं का पोषण व वृद्धि करें।

 २-इस संविधान में किसान को अधिकार दिए जाएंगे जिसमें उसकी भूमि कृषि योग्य कभी भी लोप नहीं होगा  वह कर्तव्य यह सुनिश्चित की जाएगी कि वह उस पर खेती ही कर रहा है जिसकी वजह से संविधान में दिए गए सुविधा व लाभ उसे लगातार मिलते रहेंगे।

 ३-किसान संविधान के अनुसार किसान एक ऐसा संगठन तैयार कर रहा है जिसके अंतर्गत किसान को अधिकार के साथ कर्तव्य भी सुनिश्चित की जा रहे हैं जिसमें कर्तव्य के रूप में भारत के सभी नागरिकों का पोषण किसान का अधिकार व कर्तव्य है और वह  यह सुनिश्चित करेगा ।

 ४-संविधान में सुनिश्चित किया जाएगा कि धरती पर पानी का पहला अधिकार प्यासे जीव का है और दूसरा अधिकार केवल प्राथमिक तौर पर किसान का है और किसान के पानी का किसी तरह से लोग नहीं होना चाहिए यथासंभव और निशुल्क जल की व्यवस्था कर किसानों के अधिकार क्षेत्र में पानी को दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भारत के किसी क्षेत्र में किसान पानी से वंचित ना हो और इसके लिए उन्हें संघर्ष की स्थिति ना बनानी पड़ी जब तक की प्रकृति के द्वारा कोई समस्या ना खड़ी की जाए। और ऐसी समस्या आने के बाद प्रथम प्यासी जीव के उपरांत किसानों को पानी दिया जाए ना कि व्यक्तिगत लाभ कमाने वाले फैक्ट्रियों अथवा इंडस्ट्रीज को अथवा अन्य किसी भी संस्थान को।

 ५--भूमि के संरक्षण और जल के संरक्षण के बात और संविधान को लिखने के बाद तीसरा और गंभीर विचार इन संविधान के अंतर्गत रखे जा रहे हैं कि व्यक्ति को शिक्षा अति अनिवार्य है और प्राथमिक तौर पर किसान को भी शिक्षा की प्रमुख आवश्यकता है इसलिए पूरे देश में किसानों द्वारा अन्य का भंडारण भरा जाता है इसलिए किसान के परंपरागत पुत्रों को भी शिक्षा के अधिकार में मुफ्त शिक्षा का संचरण होना चाहिए इसलिए जैसे अन्य शिक्षा के लिए यूनिवर्सिटी बनी है वैसे ही कृषक यूनिवर्सिटी की स्थापना हर मंडलों में की जाएगी और यह सरकार के अनुभव नहीं होगी स्वयं विषय क्षेत्र से निकले हुए शिक्षार्थी एवं विद्वान ही इस यूनिवर्सिटी के उत्तराधिकारी वह संचालन करता होंगे।

 ६-इसी तरह कृषकों के हित में अगर गवर्नमेंट के चिकित्सालय वर्क नहीं कर रहे हैं तो किसानों के द्वारा हर मंडल अथवा जिले में भी एक चिकित्सा केंद्र किसानों द्वारा स्थापित होगा जो आम जनमानस के लिए भी सुलभ वह मुफ्त होगा मुफ्त होगा

 ७-कृषकों द्वारा ही स्थापित एजेंसियां सारा कृषि कार्य करें अथवा कृषि से संबंधित कोई भी व्यवसाय अगर कोई अन्य कंपनी कर रही है तू कृषकों के लिए कम से कम 35 परसेंट शेयर के एग्रीमेंट पर कंपनी को कृषकों के कच्चे उत्पाद का उपभोग करने का मौका दिया जाएगा 35 परसेंट भारत के कृषि विकास के क्षेत्र में बजट के रूप में कृषक मंत्रालय को टैक्स वसूलने का अधिकार दिया जाएगा और कृषक मंत्रालय में कृषकों के नेतृत्व करने वाले विशेष किसान उसके मनोनीत और चयनित पदाधिकारी होंगे और इस मद का इस्तेमाल किसानों के कार्यों में उपयोग होंगे।

 ८-इस नए किसान संविधान की आवश्यकता यह है कि पशुपालक किसान मजदूर किसान इत्यादि के विकास में 35% प्राप्त टैक्स द्वारा उनका विकास करके प्रकृति के साथ चलने का प्रयास कृषक करेगा और कृषक द्वारा भूमि की मांग करने पर यथासंभव पशुपालन अथवा मजदूरी पर कार्य कर रहे शाम को स्वयं पूर्ण किसान बनाने की कोशिश की जाएगी।